क्यों ना हर रिश्ते को दोस्ती की नज़र से देखा जाये।
रिलेशन को आप दोस्ती का नाम दे सकते है जिससे रिलेशन कभी खराब नहीं होगा। दोस्ती मे हम कुछ बनते नहीं है, दोस्ती मे आप अपनी fellings को शेयर कर सकते और करते भी होंगे जो की शायद आप किसी और से नहीं कर पाते। क्यों ? क्योकि आपके रिलेशन सब के साथ वैसे नहीं है जो आपके दोस्तों के साथ है। अपने आप को किसी की जगह पर रख कर के सोचो जैसे की अगर आप पिता या माता हो तो आप की दुख की वजह कौन होगा ? आप का बेटा या बेटी, अगर पति हो तो पत्नी से जुड़े ही विचार आएंगे और कोई आ सकते है ? नहीं ना, सुबह से रात तक यही तो हो रहा है।
अगर बेटा बन गए तो आप की सब से बड़ी दुख की जड़ जो की लगभग सब को लगती होगी की आप अपने माता पिता से परेशान होते हो और उनसे दूर रहने की कोशिश करते हो, बहाने ढूंढ़ते हो की अगर मैं कहीं दूर रहूँ तो खुश रहुँगा। सोचते है की मेरे दुख की जड़ कौन है माता पिता ऐसा होता है यार ये natural fact है ऐसा सब को लगता है पर हकीकत आप सब को पता है। यार तुम कुछ मत बनो जो हो वही रहो और देखो, सोचो की हम क्या कर रहे है। अगर बनना है तो दोस्त बनो बाप क्यों बन रहे हो किसी के या बेटा क्यों बन रहे हो, दुनिया की नज़र मे बनो, अंदर से दोस्त बनो तो बच्चों को सही सलाह दोगे और बेटे हो तो बड़ी से बड़ी porblems भी छोटी लगने लगेगी। यार जिस चीज की जितनी value है उस को उतनी तो दो | उसी तरह पिता को पिता की और बेटे को बेटे की value समझनी जरुरी है। मानता हुं ये सभी बातें बहुत आम है पर कोई समझता नहीं है।
मेरा मानना ये है की अगर हम दुनिया के हर एक रिश्ते को सिर्फ उसी नज़र से देखे जैसे हम अपनी दोस्ती को देखते है तो शायद हमारा जीवन बहुत आसान हो जायेगा क्योकि दोस्ती से खूबसूरत रिश्ता तो इस दुनिया मे है ही नहीं।
क्यों हम हर रिश्ते मे सिर्फ मतलब ढूँढ़ते है , क्या हम हर रिश्ते को दोस्ती की तरह पाक और साफ़ नहीं रख सकते जो किसी से किसी मतलब से नहीं की गयी, आप दोस्त के बाप तो नहीं बन सकते लेकिन बाप के दोस्त जरूर बन सकते हो अगर आपने ये बात समझ ली तो आप जीवन मे कभी हारेगे नहीं क्योकि आप को पता है आप के साथ एक दोस्त जैसा पिता खड़ा है।
दोस्तों क्यों ना हर रिश्ते को दोस्ती की नज़र से देखा जाये।